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शनिवार, 28 मई 2011

पंडित श्री गजराज -काका हाथरसी





मम्मी जी ने बनाए हलुआ-पूड़ी आज , 
आ धमके घर अचानक , पंडित श्री गजराज .
पंडित श्री गजराज ,सजाई भोजन थाली , 
तीन मिनट में तीन थालियाँ कर दीं खाली .
मारी एक डकार ,भयंकर सुर था ऐसा , 
हार्न दे  रहा हो मोटर का ठेला जैसा .
मुन्ना मिमियाने लगा , पढने को न जाऊं , 
मैं तो   हलुआ खाऊंगा बस , और नहीं कुछ खाऊं  .
और नहीं कुछ खाऊं  ,रो मत प्यारे ललुआ ,
 पूज्य गुरूजी ख़तम कर गए सारा हलुआ .
तुझे अकेला हम हरगिज न रोने देंगे , 
चल चौके में , हम सब साथ साथ रोयेंगे . 
 
काका हाथरसी (मूल नाम- प्रभु नाथ गर्ग)
जन्म : 18 सितम्बर , 1906 ,हाथरस    
हिंदी हास्य  कविता के सशक्त हस्ताक्षर . अपने समय में मंचों के पर्याय थे . बच्चों के लिए भी लिखा .  
 निधन :  18 सितम्बर ,1995

*यह  कविता कुण्डलियाँ छंद में है. 

अकडम -बकडम-तिकड़म



बाल कविता : रमेश यादव
अकडम -बकडम-तिकड़म ,
सांप-सीढ़ी खेलम .
जल्दी पासा फेंकम , 
काली जादू मंत्रम .
छम छम - छम छकम ,
एक-दो-तीन गिनम .
सर-सर गोटी सरकम,
जल्दी आगे बढ़म .
सीढ़ी से ऊपर चढ़म   
साँप काटे  नीचे गिरम .
धड़ाम - धड़ाम - धड़ाम ,
नो प्राब्लम - नो प्राब्लम .
खेलम-खेलम-खेलम
जल्दी हंड्रेड करम .
पारी हुयी ख़तम ,
कोई हारम कोई जीतम . 

रमेश यादव
शिक्षा : एम्. ए. (हिंदी )
जन्म :9 अक्तूबर, 1962 , मुम्बई
प्रकाशित बाल कविता संग्रह : महक फूल सा मुस्काता चल
संपर्क : बी- विनायक वासुदेव,चिंचपोकली , पश्चिम , मुम्बई

चित्र गूगल सर्च से साभार

बुधवार, 25 मई 2011

रामू को जुकाम - आनंद प्रकाश जैन



शिशुगीत :आनंद प्रकाश जैन
रामू को जुकाम ने पकड़ा ,
फ़ौरन खटिया पकड़ी . 
नाक देख कर डाक्टर बोला - 
''फीस लगेगी तगड़ी .'' 
बैग खोल कर डाक्टर ने फिर , 
चाकू एक निकाला . 
''नाक काटनी होगी बेटा , 
यह क्या झंझट पाला ?''
खटिया से छलाँग लगाई , 
खाक उड़ी न धूल . 
पंख लगा कर रामू पहुँचा ,
पल भर में स्कूल . 
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आनंद प्रकाश जैन जी
 हिंदी के महान बाल साहित्यकार एवं संपादक थे .
'पराग' मासिक  को उन्होंने लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचाया. बच्चों के लिए बहुत ही रोचक 
कहानियां , उपन्यास और कविताएँ लिखी .

रविवार, 22 मई 2011

जन्म दिन आपको मुबारक हो -शेरजंग गर्ग






बाल गीत : डा. शेरजंग गर्ग 
जन्म दिन आपको मुबारक हो ,
आपका नाम आस्मां तक हो .
हर ख़ुशी आपके चरण चूमे , 
और आँगन में रोशनी झूमे .
काम भी यादगार लायक हो .
दर्द शरबत समझ के पी जाएँ ,
चाँद तारों की उम्र जी जाएँ .
कोई बाधा कहीं न बाधक हो . 
सबकी आँखों के आप हों तारे ,

आप हों प्यार से अधिक प्यारे . 
हर जगह आप ही की रौनक हो . 
जन्म दिन आपको मुबारक हो .
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चित्र में हैं सृजन . जन्म दिन : 22 मई 
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डा. शेरजंग गर्ग 
जन्म : 29 मई ,1937
प्रकाशित बाल कविता संग्रह : सुमन बाल गीत ,अक्षर गीत
संपर्क : जी-261-ए,सेक्टर - 22 , नोयडा



शुक्रवार, 20 मई 2011

कब तक कब तक - नागेश पांडेय ' संजय '



कब तक कब तक
बालगीत : डा. नागेश पांडेय ' संजय ' 

भूख लगी है,
कब तक कब तक?
खाना-पानी, दें ना नानी
जब तक जब तक, तब तक तब तक।

टीचर से डर,
कब तक कब तक?
रहे अधूरा होम वर्क जी!
जब तक जब तक, तब तक तब तक।

रिमझिम रिमझिम 
कब तक कब तक?
बादल के झोलों में है जल,
जब तक जब तक, तब तक तब तक।

कहो अँधेरा
कब तक कब तक?
हो ना जाये सुखद सवेरा
जब तक जब तक, तब तक तब तक।

मेल-दोस्ती
कब तक कब तक?
जब तक झगड़े को हम रगड़ें
तब तक तब तक, तब तक तब तक।

वीरों की जय
कब तक कब तक?
जब तक सूरज, चाँद, सितारे
तब तक तब तक, तब तक तब तक।

ये सवाल जी
कब तक कब तक?
दे पायें जब तक जवाब हम,
तब तक तब तक, तब तक तब तक।

कब तक कब तक? कब तक कब तक?
जब तक जब तक, तब तक तब तक।
चित्र : गूगल सर्च से साभार

बुधवार, 18 मई 2011

लगी पूंछ में आग




शिशुगीत : डा. आर. पी. सारस्वत 
नकली पूंछ लगाकर गोलू 
बने वीर  हनुमान 
जा रावण -दरबार वहां पर 
किया राम गुणगान . 
गदा घुमा कर गोलू भैया 
ठोक रहे थे ताल .
डर के मारे लंका वालों
 का था पतला हाल . 
रावण के कहने पर ज्यों ही
 लगी पूंछ में आग . 
नकली पूंछ फेंक कर गोलू 
गए वहां से भाग . 
चौपट हुयी रामलीला तब 
बच्चे हँसे ठठाकर . 
गोलू था डरपोक , हुई 
गलती हनुमान बनाकर . 
डा. आर. पी. सारस्वत 
जन्म : 1 अप्रैल , 1954 ,मथुरा 
प्रकाशित बाल कविता संग्रह :
 नानी का गाँव , चटोरी चिड़िया 
संपर्क : पन्त विहार , सहारनपुर 
मो.-9897792500


चित्र गूगल सर्च से साभार 

शनिवार, 14 मई 2011

इब्न बतूता - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना



बालगीत : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 
इब्न बतूता , पहन के जूता 

निकल पड़े तूफान में . 
थोड़ी हवा नाक में घुस गई  , 
थोड़ी घुस गई कान में .
कभी नाक को , कभी कान को 
मलते इब्न बतूता . 
इसी बीच में निकल पड़ा 
उनके पैरों का जूता .
उड़ते-उड़ते जूता उनका 
जा पहुँचा जापान में . 
इब्न बतूता खड़े रह गए 
मोची की दूकान में . 

 सर्वेश्वर  दयाल सक्सेना 
जन्म : 15.09.1927 , पिकारा बस्ती 
हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर ; 
बाल कविता के गौरव .
बच्चों के अपने कवि .
प्रमुख बाल कविता संग्रह :  बतूता का जूता , मंहगू की टाई ,बिल्ली के बच्चे , भों भों खों खों 
निधन :  24.09.1983